हजारीबाग: विष्णुगढ़ थाना प्रभारी लाइन हाजिर लगे गंभीर आरोप।

हजारीबाग : झारखंड के हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में अपराध और लापरवाही के आरोपों से घिरे थानेदार राम नारायण सिंह को गुरुवार को लाइन हाजिर कर दिया गया। यह कदम उनकी विवादास्पद गतिविधियों और खराब प्रदर्शन के कारण उठाया गया है, जिससे क्षेत्र में कई गंभीर घटनाओं की लहर दौड़ गई थी। यह फैसला तब लिया गया जब उनके खिलाफ कई आरोप लगे और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए गए।

विष्णुगढ़ थाने में थानेदार की लापरवाही:

राम नारायण सिंह के कार्यकाल के दौरान विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में अपराध की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि देखी गई। उनके कार्यकाल में चोरी, छिनतई, कोयला और लकड़ी की तस्करी जैसी गैरकानूनी गतिविधियाँ अपने चरम पर पहुँच गईं। चार बार गोलीबारी की घटनाएँ घटीं, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई।

इनमें सबसे प्रमुख घटना 8 जनवरी 2024 की है, जब विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के भेलवारा में डॉ. परशुराम प्रसाद पर गोलियां चलाई गईं। यह मामला थानेदार द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया, और इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, इसी वर्ष अगस्त में डॉ. प्रसाद की हत्या हजारीबाग में कर दी गई। माना जा रहा है कि अगर उस समय अपराधियों का खुलासा कर दिया गया होता तो शायद इस जघन्य हत्याकांड को टाला जा सकता था।

अपराधियों का बेखौफ मंजर:

राम नारायण सिंह के कार्यकाल में इलाके में अपराधियों के बीच खौफ खत्म हो गया था। 27 जुलाई की रात कोनार डैम में माओवादियों द्वारा की गई फायरिंग और 3 अगस्त को गाल्होबार में सरफुद्दीन की हत्या इस बात के सबूत हैं कि क्षेत्र में अपराधी बेखौफ हो चुके थे। सरफुद्दीन की हत्या में पहले उसे गोली मारी गई और फिर उसकी गर्दन रेत कर निर्ममता से हत्या कर दी गई। इस तरह की घटनाओं ने क्षेत्र के लोगों के बीच भय का माहौल बना दिया था और पुलिस की कार्यशैली पर गहरा सवाल उठाया।

थानेदार पर कार्रवाई:

राम नारायण सिंह पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। लोकसभा चुनावों से पहले भी उन्हें लाइन क्लोज किया गया था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उनकी जगह किसी अन्य को नियुक्त नहीं किया गया था और बाद में उन्हें ही फिर से थानेदार की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। यही वजह है कि इस बार भी उनकी पुनः वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं।

थानेदार के कार्यकाल पर सवाल:

विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में राम नारायण सिंह का कार्यकाल दो साल से अधिक का रहा, जो इस क्षेत्र के इतिहास में अभूतपूर्व है। हालांकि, इस अवधि में अपराधों की बाढ़ आ गई और पुलिस की विफलता साफ दिखाई दी। उनकी लापरवाही और कार्रवाई में देरी ने जनता के बीच नाराजगी और अविश्वास की भावना को बढ़ावा दिया।

प्रशासनिक कदम और क्षेत्र में चर्चाएँ:

थानेदार राम नारायण सिंह के लाइन हाजिर होने के बाद अब प्रशासन पर दबाव है कि वह किसी योग्य अधिकारी को उनकी जगह नियुक्त करे। फिलहाल, विष्णुगढ़ थाने में किसी नए अधिकारी की पोस्टिंग नहीं की गई है, जिससे क्षेत्र में चर्चा गरम हो गई है कि कहीं उन्हें फिर से वापस तो नहीं लाया जाएगा। इस घटनाक्रम के बाद इलाके के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि पुलिस प्रशासन अपराध पर नकेल कसने और क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए प्रभावी कदम उठाएगा।

निष्कर्ष:

विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में बढ़ते अपराध और पुलिस की लापरवाही ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। थानेदार राम नारायण सिंह के लाइन हाजिर होने के बाद क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की बहाली की उम्मीद जगी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन किस तरह से इस चुनौती का सामना करता है और क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाता है।

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