तालीम वो है जो जीने का सिखाए सलीका : मुफ़्ती मोहम्मद यूनुस कासमी जामिया सुफ्फा संरक्षक

हज़ारीबाग जामिआ सुफ्फा जामिआ नगर मंडे कला में तालीमी बेदारी व इस्लाहे मुआसरा को लेकर जलसा का किया गया आयोजन जिसका मुख्य अतिथि जमीअतुल उलेमा हजारीबाग सेक्रेटरी मौलाना शकीलउर रहमान कासमी रहे जामिया सुफ्फा 20 वर्षों से लगातार गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही है और सेकड़ो बच्चे अभी तक बिना देखे हुए कुरान (हाफिज) बन चुके हैं।

जामिया सुफ्फा के संरक्षक और मुख्य अतिथि के हाथो वितरण अच्छे प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरस्कृत अथवा गरीब असहाय बच्चों को कपड़े और आर्थिक सहयोग दिया गया तालीमी बेदारी व इस्लाहे मुआसरा को लेकर गुरुवार को जलसा का जामिआ सुफ्फा जामिआ नगर मंडे कला मे आयोजन किया गया। जलसे में नात पेश करते हुवे कहा कि तालीम वो है, जो इंसान को अल्लाह से मिलाता है। जो जीने का सलीका भी सिखाता है। बगैर तालीम के इंसान अंधे के बराबर है। यह बातें मदरसे के प्रिंसपल मौलाना अबुहुरेरा कासमी ने अपने तकरीर में कही।

तालीमी बेदारी और इस्लाहे मुआसरा को लेकर आयोजित एक दिवसीय जलसे के मौके पर अपनी तकरीर में जमीयतूल उलेमा हज़ारीबाग के सेक्रेटरी मौलाना शकीलउर रहमान कासमी ने कहा कि अल्लाह ने इंसान को सभी प्राणी में सर्वोच्च बनाया है। इसलिए इंसान की जिम्मेदारी बनती है कि वो तमाम इंसानों की बेहतर रहनुमाई करे। तकरीर में कहा कि हर इंसान को चाहिए कि वो यतीम, जरूरतमंद, बुजुर्ग, गरीब और अपाहिज के साथ ना केवल बेहतर सलूक करें। बल्कि उसकी हर मुमकिन मदद भी करे। अनाथ बच्चों के साथ पूरी हमदर्दी के साथ पेश आएं। जो अनाथ की मदद करेगा, अल्लाह उस पर रहम करेगा।

जलसे में मौजूद उलेमाओं ने शिक्षा के महत्व और समाज में फैली विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने की बात कही। जलसा को संबोधित करने वाले मौलाना मोम्मद मूसा नदवी , हाफिज मोहम्मद इकराम कासमी , मौलाना दानिस कासमी , हाफिज मोहम्मद सलीम कासमी , मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी, मौलाना मोहम्मद जेनुल आबिदिन, मौलाना मोहम्मद इफ्टिंखार,और सेकड़ो समाज सेवी और ग्रामीण उपस्थित थे
