मंडई कलां में ईद मिलाद-उन-नबी का  मनाया गया जश्न

27 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार को मंडई कलां में ईशा की नमाज के बाद ईद मिलाद-उल-नबी (सल्ल.) के मौके पर हजरत मौलाना मुख्तार आलम हबीबी की सरपरस्ती में मिलाद मुस्तफा का जश्न मनाया गया और कारी महमूद रज़ा नूरी की अध्यक्षता में जलसे का आयोजन किया गया। बैठक का संचालन कारी शाहिद रजा अंजुम ने किया। कारी महमूद रज़ा ने पवित्र कुरान की तिलावत करके सभा की शुरुआत की, उसके बाद अल बख्श रज़ा, हाफ़िज़ दिलशान रज़ा, अहमद रज़ा, फिरदौस रज़ा, हाफ़िज़ खुर्शीद और कारी महमूद रज़ा ने पवित्र पैगंबर को श्रद्धांजलि के रूप में बेहतरीन तरीके से भाषण प्रस्तुत किया।

कारी इकरामुद्दीन अल-मेरजी ने अपनी तकरीर में कहा कि हमारी मुहब्बत अल्लाह और रसूल से होनी चाहिए। कारी मोहम्माद अशरफ ने लोगों से कहा कि पैगम्बर साहब की शिक्षाओं के अभाव के कारण हमारा समाज विभिन्न मिथकों में उलझ गया है। पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हमें अपने बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ शिक्षित करने की भी शिक्षा दी है। इस्लाम धर्म धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के अधिग्रहण पर भी जोर देता है। मौलाना आजम अली मिस्बाही ने सीरत मुस्तफा पर संक्षेप में प्रकाश डाला।

विशिष्ट वक्ता हजरत मुफ्ती सैयद कामरान हसीब ने अपने संबोधन में पैगंबर (सल्ल.) की जीवनी के संदर्भ में समाज में फैली बुराइयों की रोकथाम पर जोर दिया और कहा कि हमें दायित्वों के साथ-साथ कर्तव्यों पर भी ध्यान देना चाहिए। कर्तव्य. प्रार्थनाओं का पालन, माता-पिता के प्रति अच्छा व्यवहार, बड़ों के प्रति सम्मान और छोटों के प्रति दया हमारे नैतिक मूल्यों को जन्म देती है। वहीं दूसरी ओर शराब, गांजा, अफीम, ड्रग्स और जुआ जैसी बुरी चीजों से बचना भी बहुत जरूरी है।

अंत में कारी महमूद रज़ा नूरी ने अध्यक्षता की और महफ़िल में आये सभी विद्वानों और प्रतिभागियों का शुक्रिया अदा किया। कार्यक्रम को सफल बनाने वालों में जमालुद्दीन फिरोज उर्फ राजा अरबाज शाहबाज आफताब मोइनुद्दीन मुफीद अख्तर शाहनवाज, शाह रेहान, चांद डीजे फैसल सरफराज अताउल्लाह और मिराजुल हक शामिल हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों को भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और सलातो व दुआ के साथ सभा समाप्त हुई

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