
बीते शनिवार की रात ईशा नमाज के बाद फिरदौस कॉलोनी हजारीबाग में हर साल की तरह इस साल भी निहायत ही ताजगी व एहतेराम के साथ बाद नमाज ईशा एक अजीमो शान के साथ जश्ने ईद मिलादुन्नबी सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम मनाया गया महफिल का आगाज मोहम्मद जकी इरशाद ताज शरिया कोचिंग सेंटर के तालिबान ने तिलावत कलाम-ए-पाक से किया बाद शायर अहले सुन्नत कारी मोहम्मद राजा नूरी ने बेहतरीन अंदाज में नाते नबी सुना कर सबों को खुश किया ।
हजरत मौलाना डॉक्टर मोहम्मद आजम मिस्बाही साहब प्रिंसिपल मदरसा गुलशन-ए-बगदाद ने अपनी तकरीर में खिताब फरमाते हुए कहा कि हजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम का दुनिया में तशरीफ लाना मोमिनो के लिए सबसे बड़ी नियामत है क्योंकि आज यह दुनिया में जो कुछ भी है यह सब मेरे मुस्तफा का सदका है और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिंदगी हम सबके लिए बेहतरीन नमूना है इसलिए हम सबको चाहिए के आका-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए तरीके पर अपनी जिंदगी गुजारे इसमें हमारे लिए दोनों जहां में कामयाबी है इसलिए हम पहले सुन्नत वल जमात के लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि की आमद का जुलूस और मिलाद मानते हैं और यूं ही मानते रहेंगे।
शायर अहल-ए-सुन्नत कारी महमूद रजा नूरी साहब ने कहा कि पैगंबर की शिक्षाओं को उन्हें अपनी बेटियों को पर्दे में रहने की सलाह देनी चाहिए असल में ईमान है। अगर दिल में पैगम्बर के लिए प्यार नहीं है तो कोई भी मोमिन मुकम्मल नहीं हो सकता और उसकी कोई भी इबादत अल्लाह के सामने कबूल नहीं हो सकती डॉ. अल्लामा इक़बाल के अनुसार मुहम्मद का प्यार सच्चे धर्म की पहली शर्त है अगर इसमें कोई खोट है तो सब अधूरा है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अंसार कमेटी के सभी पदाधिकारियों ने अग्रणी भूमिका निभाई, जिसमें विशेष रूप से अल-अंसार कमेटी के संरक्षक अल-हज शम्सुल्लाह साहब, अल-हज अमीन-उल-हक, अध्यक्ष शाह नूर खान साहब, सचिव मिन्हाज मजरूह साहब, गुलाम जिलानी साहब, सैयद अली उर्फ मुन्तो, रमीज़ रज़ा, मोहम्मद जावेद, अब्दुल रहमान खान साहब और मोहम्मद सलीम आदि के अलावा बड़ी संख्या में लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए प्रोग्राम के अंत में सलाम और फातिहा के बाद दुआ की गाई और प्रोग्राम ख़त्म हुई।
