हजारीबाग; आई फ्लू का प्रकोप, 80 प्रतिशत लोग इसके चंगुल में।
संक्रमित को देखने से नही फैलता है यह रोग: डॉ. अशोक राम।
पूरे प्रखण्ड के लोग इन दिनों कॉन्सेक्टिवायटिस के प्रकोप से परेशान है। चोक-चौराहों में लोग आपको रात में भी काले चश्मे पहने दिखाई देते होंगे यह कोई नया फ़ैशन नही बल्कि इस रोग का प्रभाव है। इस संक्रमण को आई फ्लू या रेड आइएस या आंख आना भी कहा जाता है।
चुरचू प्रखण्ड चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अशोक राम बताते हैं की यह बीमारी मौसम में आये बदलाव के कारण होता है। इस रोग में आंखों के कंजेक्टाइवा में रेडनेस आ जाता है और आंखों में जलन और खुजली होने लगता है।
वह बताते है कि विषाणुजनित रोग होने के कारण इसका संक्रमण तेजी से फैलता है। डॉक्टर अशोक राम की माने तो आई फ्लू सिर्फ संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क जैसे व्यक्तिगत चीजों को साझा करने, स्वच्छता का ध्यान न रखने, आंखों की अच्छे से सफाई न रखने या दूषित सतह को छूने के बाद उसी हाथ से आंखों को छूने से होता है।
बिना निकट संपर्क के इस संक्रमण के जोखिम नहीं होता है। यह एक आम गलतफहमी है कि किसी की आंखों में देखने से आई फ्लू फैल सकता है। जब तक आप प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आंखों से निकलने वाले स्राव के संपर्क में नहीं आते हैं, तब तक इस संक्रमण का जोखिम नहीं होता है।
रोग के उपचार व दवाई के बारे में पूछे जाने पर डॉक्टर अशोक राम बताते है कि इस संक्रमण का लाइफ साईकल ज्यादा से ज्यादा तीन से चार दिन रहता है। इस दौरान आंखों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। जैसे कि दिन में कुछ समय के अंतराल पर आँखों को पानी से धोना, चश्मे का प्रयोग करना ताकि कोई दूसरा गंदगी प्रवेश न कर सके और बार-बार आंखों को छूने से बच सके आदि।
वो बताते है कि इस रोग के लिए आई ऐप्लिकेब आता है कैमिसिटीन जिसे ग्रामीण पिलुआ मलहम के नाम से भी जानते है। यह काफी कारगार दवाई है।
