
जी हां, चौंकिए मत मैं हूँ इचाक बाजार। यहां जाम लगना कोई नई बात नही है। सुबह हो या शाम, चाहे एम्बुलेंस हो या प्रशासनिक अधिकारी एवं छात्र छात्राओं को ले जा रही स्कूल की वाहन। जाम में फंसना यहां की नियति बन गयी है। एनएच 33 इचाक मोड़ से बरकट्ठा एनएच 2 जीटी रोड को जोड़ने वाली सड़क जो इचाक बाजार होते हुए जाती है।
इस सड़क को इचाक की जीवन रेखा कहा जा सकता है। 19 पंचायत में करीब डेढ़ लाख आबादी का एक मात्र मुख्य बाजार है। प्रशासनिक पदाधिकारी से लेकर हजारों लोगों का लगातार आना जाना लगा रहता है। प्रति दिन स्कुल, कॉलेज, बाजार, अंचल, ब्लॉक, कोर्ट कचहरी के लिए छोटी बड़ी सैकड़ो वाहन आती जाती है। एक ओर सड़क संकीर्ण है। वहीं दूसरी ओर दुकानदारों द्वारा भी अपनी दुकानों के सामने अतिक्रमण करने में कमी नही है। दो पहिया, तीन पहिया, चारपहिया वाहन का कहीं कोई स्थायी स्टैंड नही होने के कारण बाजार आने वाले यात्री सड़क में ही अपनी वाहन को खड़ा कर अपना काम करते हैं, यूं कहा जाय कि कुछ लोग बाज़ार में जहां तहां अनावश्यक वाहन खड़ा कर सड़क में जाम को आमंत्रित करते रहते हैं।
इचाक बाज़ार वन वे करने की बात बार बार उठाया जाता है। पर त्योहारों के नाम से 2- 4 दिन वन- वे कर के कोरम पूरा किया जाता है। लोग कहते हैं कि इचाक थाना में जब कोई प्रशिक्षु आईपीएस का प्रभार होता है, तब लोगो की उम्मीद की किरण जगती है। उसके बाद फिर पुनरावृति बरकरार हो जाती है। और जब कभी शांति समिति की बैठक इचाक थाना में होती है, तो प्रतिनिधियों एवं उपस्थित लोगों ने वन वे करने की बात रखते हैं, प्रशासन द्वारा आश्वाशन दिया जाता है पर परिणाम शून्य होता है।
